उत्तर प्रदेश वन निगम

उत्तर प्रदेश के वनों के अपेक्षाकृत अधिक प्रभावी परिरक्षण, विकास तथा वनोपज के वैज्ञानिक विदोहन के लिये स्थानीय प्राधिकरण के रूप में उत्तर प्रदेश वन निगम अधिनियम 1974 के अन्तर्गत 25 नवम्बर 1974 को उत्तर प्रदेश वन निगम की स्थापना हुई। इसी के साथ वैज्ञानिक पद्यति से वनों में से वनोपज का विदोहन Sustainable Yield के सिद्धान्तों के अन्तर्गत कार्य उत्तर प्रदेश में प्रारम्भ किया गया।

उत्तर प्रदेश वन निगम द्वारा सम्पादित किये जा रहे कार्यकलाप

  • वनों से प्रबन्ध योजना के अनुरूप वनोपज का निष्कासन एवं निस्तारण।
  • विदोहन के पश्चात प्रकाष्ठ के विपणन कार्य का प्रदेश के 76 विक्रय डिपो के माध्यम से ई-नीलाम/सार्वजनिक नीलाम के द्वारा निस्तारण।
  • तेन्दूपत्ता संग्रहण एवं निस्तारण का कार्य।
  • ललितपुर, झांसी, महोबा, चित्रकूट, मिर्जापुर, सोनभद्र एवं वाराणसी जनपदों में जडी-बूटी संग्रहण, भण्डारण एवं विपणन का कार्य।
  • प्रधानमंत्री वन धन योजना।
  • ईको-टूरिज्म।
 

उत्तर प्रदेश वन निगम के जनोन्मुखी कार्य

  • कुम्भ मेला तथा अन्य महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजनों एवं तीर्थ यात्रियों के लिये जलौनी लकड़ी की आपूर्ति। (वर्ष 2018-19 कुम्भ हेतु 25006 कुन्टल जलौनी का विक्रय कम दरों पर रू0 450/-कुन्टल की दर से किया गया)/li>
  • गोरखनाथ धाम गोरखपुर को निशुल्क जलौनी लकड़ी एवं साल बल्ली की आपूर्ति। (1600 कुन्टल जलौनी, 100 बल्ली )
  • ठण्ड के मौसम में जिला प्रशासन के माध्यम से अलाव की व्यवस्था।
  • राजकीय विभागों को उनकी आवश्यकतानुसार नियत दर पर इमारती/जलौनी लकड़ी की आपूर्ति।

उत्तर प्रदेश वन निगम द्वारा सम्पादित किये जा रहे कार्यकलाप

वर्ष उत्पादन प्राप्त
विक्रय मूल्य
(लाख रू)
प्रकाष्ठ
(घ0मी0)
जलौनी
(घ0मी0)
बांस
(कोड़ी)
तेन्दूपत्ता
(मा0बो0)
भाभड़
(मीटन)
2018-19 174466 23421 37251 176152 - 28526
2019-20 121696 14498 18436 148528 - 21631
२०२०-21  139050 12482 10506 88516 - 15333
2021-22 147130 21047 31343 109448 - 18124
2022-23 155599 17884 2 103573 - 23045

वन विभाग को गत 05 वर्षों में भुगतान की गयी रायल्टी का विवरण

वर्ष रायल्टी का भुगतान (करोड़ में)
2018-19 148.42
2019-20 70.74
2020-21 61.15
2021-22 82.60
2022-23 70.65

उत्तर प्रदेश में वन धन विकास योजनाः

  • उत्तर प्रदेश में एम0एस0पी0 फाॅर एम0एस0पी0 वन धन विकास योजना के अन्तर्गत भारत सरकार के साथ एम0ओ0यू0 हस्ताक्षर किया गया है।
  • इस योजना के अन्तर्गत ट्राईफेड (ट्राइबल को आपरेटिव मार्केटिंग डेवलपमेंट फेडरेशन ऑफ़ इण्डिया) भारत सरकार का प्रतिनिधित्व करेगा। उत्तर प्रदेश सरकार के ओर से उत्तर प्रदेश जनजातीय कल्याण विभाग नोडल संस्था तथा उत्तर प्रदेश वन निगम कार्यदायी संस्था है।
  • इस योजना का उत्तर प्रदेश के गौण वन उपज बाहुल्य 16 जिलों में क्रियान्वयन किया जायेगा।
  • वर्ष 2019-20 में प्रधान मंत्री वन धन विकास योजना के अन्तर्गत तीन जिलों सोनभद्र, चित्रकूट व ललितपुर में यह योजना निरुपण करने का निर्णय लिया गया है।
  • इसके अन्तर्गत सोनभद्र में तीन, चित्रकूट में एक व ललितपुर में तीन वन धन विकास केन्द्र स्थापना हेतु योजना भारत सरकार को प्रेषित की गयी है जिसके विरुद्ध सोनभद्र में तीन, चित्रकूट में एक व ललितपुर में एक वन धन विकास केन्द्र स्थापना हेतु स्वीकृति भारत सरकार द्वारा दिया गया है।

ईको-टूरिज्मः

  • उत्तर प्रदेश में ईको पर्यटन की अपार सम्भावनाओं को देखते हुए ईको-टूरिज्म पाॅलिसी 2014 प्रतिपादित की गई एवं उत्तर प्रदेश वन निगम को नोडल एजेन्सी के रुप में नामित किया गया।
  • ईको-टूरिज्म की दृष्टि से दुधवा राष्ट्रीय उद्यान तथा कतर्नियाघाट वन्य जीव विहार में पर्यटक हटों एवं सफारी वाहनों की ऑनलाइन बुकिंग की व्यवस्था।
  • ईको विकास समितियों के माध्यम से स्थानीय समुदायों को भी पर्यटन की गतिविधियों में सहभागिता।
  • भविष्य में पीलीभीत टाईगर रिजर्व स्थित चूका घाट, सुहेलवा वन्य जीव विहार, एवं सुरसरोवर, आगरा में ईको-टूरिज्म का विकास।
  • दुधवा में एलीफैन्ट सफारी एवं कतर्नियाघाट में नौका सफारी एवं अन्य गतिविधियां को विकसित करना।
  • ईको-टूरिज्म से सम्बंधित सूचनाओं एवं ऑनलाइन बुकिंग हेतु वेबसाईट का नाम www.upecotourism.in है।

नवीन प्रयासः

A. सूचना तकनीक का उपयोग
  • ई0आर0पी0 साफ्टवेयर (Enterprise Resource Planning) का विकास।
  • अधिष्ठान, लेखा, ई0पी0एफ0, ई-नोटशीट एवं सामान्य नीलाम आदि समस्त कार्यों का निष्पादन किया जा रहा है। ई-नीलाम ऑनलाइन साफ्टवेयर पर पंजीकृत क्रेताओं को वन निगम के प्रकाष्ठ की ऑनलाइन बिक्री में ई0आर0पी0 का प्रयोग।
  • वन निगम की वेबसाइट www.upforestcorporation.co.in पर निगम से समस्त सम्बंधित सूचनायें अद्यावधिक उपलब्ध।
  • प्रकाष्ठ की विक्रय सूचियाँ भी इसी वेबसाईट पर जन-सामान्य हेतु उपलब्ध।
  • कर्मचारियों का ई0पी0एफ0, वेतन तथा अन्य भुगतान हेतु भी ऑनलाइन प्रणाली का प्रयोग।
  • ई-नीलाम एवं ईको-टूरिज्म हेतु मोबाइल ऐप का विकास।
  • तकनीक आधारित hand-held machines का प्रयोग ताकि लौगिंग कार्यों की यूनिटवार दिन प्रतिदिन समीक्षा हो और तत्काल वह लाटें नीलाम में रखी जा सके।
  • समस्त विक्रय डिपुओं से ई-इनवाइस का कार्य आरम्भ।
  • मुख्यालय स्तर से ई0आर0पी0 के माध्यम से वेतन वितरण का कार्य।
B. ई-नीलाम की विशेषताएँ
  • उ0प्र0 वन निगम में प्रदेश के 76 विक्रय डिपुओं में विक्रय किये जाने वाले प्रकाष्ठ की नीलामी ई-नीलाम के माध्यम से निस्तारण की व्यवस्था एवं ई-पेमेंट।
  • किसी भी पंजीकृत क्रेता द्वारा स्वतंत्र रूप से किसी भी प्रकाष्ठ की लाट पर ऑनलाइन रियल टाईम में बोली देने की सुविधा।
  • एक सम्पूर्ण पारदर्शी नीलाम प्रक्रिया।
  • जमानत की धनराशि जमा करने की ऑनलाइन स्वतंत्रता।
  • क्रेता को बिक्री की अनुमोदन की तत्काल सूचना इण्टरनेट के माध्यम से उपलब्ध कराने की सुविधा, तथा प्रकाष्ठ के मूल्य का ई-भुगतान।
  • वन निगम द्वारा यह कार्य देश में प्रथम बार कराया गया है। जिस पर उ0प्र0 वन निगम को पुरस्कृत भी किया गया।
  • वेबसाइट का नाम www.upforesteauction.com है।
C. पी0ई0एफ0सी0 वन प्रमाणीकरण
  • अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रकाष्ठ के व्यापार के लिए विभिन्न अन्तर्राष्ट्रीय नियमों के अन्तर्गत प्रकाष्ठ के प्रमाणीकरण की मांग बढ़ रही है।
  • सम्भावित है कि आगे विभिन्न अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रमाणीकृत प्रकाष्ठ की मांग बढ़ रही है।
  • उ0प्र0 वन निगम द्वारा प्रदेश के 41 वन प्रभागों के लगभग 4.5 लाख हेक्टेयर वन क्षेत्र को प्रमाणीकृत कराया गया है।
  • प्रमाणीकरण अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर सम्पोषित वन प्रबन्ध (Sustainable Forest Management) के सिद्धान्तों पर आधारित है।
  • उ0प्र0 वन निगम अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व में एक राजकीय संस्था के रूप में सबसे अधिक वन क्षेत्र को प्रमाणीकृत करने वाला संगठन बन गया है।
  • उपरोक्त वन प्रमाणीकरण से प्रदेश में प्रकाष्ठ से बनने वाले हैण्डीक्राफ्ट एवं तैयार माल बनाने वाले उत्पादकों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर निर्यात हेतु मान्यता मिल रही है।।